धर्म,संस्कृति और देश
बुधवार, 12 मार्च 2014
जन्मे अनभिज्ञ किसी लक्ष्य के लिये.. उन्मुक्त कर बचपन,कैशोर्य मचलते रह गये; यौवन बस जीने के संघर्ष को लिये.. अनवरत इच्छादमन,उद्देश्य कुचलते रह गये ।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
नई पोस्ट
पुरानी पोस्ट
मुख्यपृष्ठ
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें