गुरुवार, 19 नवंबर 2015

राम मन्दिर

हमारे लिये राम मंदिर आज भी मुद्दा है। हमें १९८०-९० के दिन भलीभाँति स्मरण हैं। असंख्य रामसेवकों,यथा हुतात्मा कोठारी बंधुओं, का बलिदान हमारे मानसपटल पर अमिट रूप से अंकित है। हमारी संतति और उनकी संतति इसे तब तक आगे बढ़ायेंगे जब तक रामलला तिरपाल से अपने भव्य मन्दिर में ना लौट आयें। सौगन्ध राम की खाते हैं मन्दिर वहीं बनायेंगे! जो समाज यह भूल जाता है कि वह क्यों अस्तित्व में है वह विनाशोन्मुख हो जाता है और हम उसे यह भूलने नहीं देंगे। जयतु हिन्दू राष्ट्रं!

Proud of our great leader of Ramjanmabhumi movement who lead from the forefront and helped bhArata be cleansed of the biggest black spot. Alas that he could not live enough to see the Ram-Mandir be built.

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